फिर कुछ टूट रहा है मुझमें कहीं वो "मैं" तो नहीं कुछ छूट रहा है मुझमें कहीं वो "मैं" तो नहीं एक पागल सी दोस्त थी मेरी हर दम कुछ बोला करती थी चुप चाप सी रहती है आजकल कुछ तो वज़ह है इस खामोशी की कहीं वो "मैं" तो नहीं इसी उधेड़ बुन में कब सुबह से शाम और फिर रात हो जाती है कुछ पता ही नहीं चलता कोई तो है जो मायूस कर रहा है मुझे कहीं वो "मैं" तो नहीं यूँ तो कई लोग मिले फिर बिछड़ गए राह-ए ज़िंदगी में मगर कोई बहुत दूर हो रहा है मुझसे कहीं वो "मैं" तो नहीं कुछ टूट रहा है मुझमें कहीं वो "मैं" तो नहीं #Tuesday_Thaughts ©AmmuAP #PhisaltaSamay #TuesdayThoughts #sad_feeling #Broken #leftalone #alone