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सुनो....💕👴 : बचाकर रखना चाहता हूँ मैं तुम्हें उन

सुनो....💕👴
:
बचाकर रखना चाहता हूँ मैं
तुम्हें उनकी गिद्ध नजरों से
जो ताड़ ते है भूंखे भेड़िये से
जैसे बचाकर रखता है पिता 
दुनियादारी से अपनी संतान को
:
बचाकर रखना चाहता हूँ मैं
तुम्हारा प्रेम तुम्हारा स्नेह
अपनापन उन वहसी चाहतों से
जैसे बचा कर रखती है माँ
बुरे वक्त से अपने बच्चों को !
:सुनो...💕👴 :
आधुनिकता के इस जंगल में बचाना चाहता हूँ संस्कारों की किताब ताकि बनी रहे नैतिकता जैसे रखता है बचाकर मनीषी अपने मन में !
:
बचाकर रखना चाहता हूँ मैं
अपनी बिखरती विरासतें धुंधलाते लोक गीत 
उगाना चाहता हूँ उम्मीदों के फूल
रिश्तों की बंजर जमीन पे!
: सुनो....💕👴
सुनो....💕👴
:
बचाकर रखना चाहता हूँ मैं
तुम्हें उनकी गिद्ध नजरों से
जो ताड़ ते है भूंखे भेड़िये से
जैसे बचाकर रखता है पिता 
दुनियादारी से अपनी संतान को
:
बचाकर रखना चाहता हूँ मैं
तुम्हारा प्रेम तुम्हारा स्नेह
अपनापन उन वहसी चाहतों से
जैसे बचा कर रखती है माँ
बुरे वक्त से अपने बच्चों को !
:सुनो...💕👴 :
आधुनिकता के इस जंगल में बचाना चाहता हूँ संस्कारों की किताब ताकि बनी रहे नैतिकता जैसे रखता है बचाकर मनीषी अपने मन में !
:
बचाकर रखना चाहता हूँ मैं
अपनी बिखरती विरासतें धुंधलाते लोक गीत 
उगाना चाहता हूँ उम्मीदों के फूल
रिश्तों की बंजर जमीन पे!
: सुनो....💕👴