मै तो यूंही लिखता चला गया जाने कब मेरी लेखनी , संपूर्ण से गुलज़ार हो गई। तमनाओं को सीमेंटते मेरी जिंदगी जाने कितनो के लिए जीती जागती किरदार हो गईं। ©saloni Bhatia हर शब्द कम है आपकी लेखनी के सामने #Gulzar MALLIKA