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मैं वर्ण हूँ, अकेला हूँ, तो चुप हूँ, अगर मिलकर बन

मैं वर्ण हूँ,
अकेला हूँ,
तो चुप हूँ,
अगर मिलकर बन गया शब्द,
तो कोहराम मचा दूँगा,
किसी के दिल मे डर का,
तो किसी के दिल मे प्यार का,
किसी को ना चाहते हुए भी ठेश पहुँचा दूँगा,

अजीब हूँ ना मैं यार,
थोड़ा अलग भी,
मेरा क्या दोष इसमे बताओ ज़रा,
लोग जब अपनी जूबान पर लगाम नही रखते,
और मेरे सहारे लोगो पर वार करते है,
मैं कर भी क्या सकता हूँ,
बताओ ज़रा,
अच्छाई या बुराई सबमे होती है न दोस्तो,
मुझमे भी है,

तो बस जो मेरी अच्छाई पर ध्यान देता है,
उनके दिलो मे मैं बस जाता हूँ,
और जो मेरी बुराई पर ध्यान देता है,
उनके दिल मे मैं डर करके घर जाता हूँ,
या कभी किसी को बेवजह ही ठेश दे जाता हूँ !! मैं वर्ण हूँ,
अकेला हूँ,
तो चुप हूँ,
अगर मिलकर बन गया शब्द,
तो कोहराम मचा दूँगा,
मैं वर्ण हूँ,
अकेला हूँ,
तो चुप हूँ,
अगर मिलकर बन गया शब्द,
तो कोहराम मचा दूँगा,
किसी के दिल मे डर का,
तो किसी के दिल मे प्यार का,
किसी को ना चाहते हुए भी ठेश पहुँचा दूँगा,

अजीब हूँ ना मैं यार,
थोड़ा अलग भी,
मेरा क्या दोष इसमे बताओ ज़रा,
लोग जब अपनी जूबान पर लगाम नही रखते,
और मेरे सहारे लोगो पर वार करते है,
मैं कर भी क्या सकता हूँ,
बताओ ज़रा,
अच्छाई या बुराई सबमे होती है न दोस्तो,
मुझमे भी है,

तो बस जो मेरी अच्छाई पर ध्यान देता है,
उनके दिलो मे मैं बस जाता हूँ,
और जो मेरी बुराई पर ध्यान देता है,
उनके दिल मे मैं डर करके घर जाता हूँ,
या कभी किसी को बेवजह ही ठेश दे जाता हूँ !! मैं वर्ण हूँ,
अकेला हूँ,
तो चुप हूँ,
अगर मिलकर बन गया शब्द,
तो कोहराम मचा दूँगा,
atitarya8182

Atit Arya

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