सुनाती हूँ कहानी,बेटी के फर्ज की सुरवानी, थी मात्र 16 साल की पर थी गोर वर्ण ओर सयानी, करती थी देखभाल सब की शिद्द्त से, पर माता पिता को जमाने की फ़िक्र लगी सताने, उस नन्ही कली के ब्याह की सोच लगे बनाने, थी वो शिष्टाचार से भरी,माता पिता को समझा, ओर छोटी सी उम्र में शादी का जोड़ा पहना, घर मे सब थे शादी की तैयारियों में व्यस्त, किसी को न थी उसके मनोभावों को जानने की फुर्सत, उसकी एकटक नजर पूरे परिवार व कोने कोने तक जाती है, सोच अपने बचपन के चंद दिनों को याद कर ऑंखे भर आती हैं, कुछ ही पलों में बारात का आना,विवाह बंधन में बंध जाती हैं, और वो नाजो से पली ,नन्ही सी कली,परिपक्व हो जाती हैं, आती हैं, नये घर व संसार मे,बस जिम्मेदारियों से लाद दी जाती हैं, महिने भर में वो पति संग पति के कुकर्मों से न्यारी हो जाती है, एक पल तो उसके मन मे आता हैं कि पिता घर चली जाऊँ, पर पिता का दर्द उसकी आँखों में सरोबार हो जाता हैं, कुढ़ती मन ही मन कहती स्वयं से, यहिं रह मैं बेटी फर्ज निभाऊं, दिन रात वो करती मेहनत, बच्चों को मैं पाल जाऊँ, देखती शराबी पति को तो,सोचती कैसे मैं यह सब कर जाऊँ, पर एक बेटी के फर्ज को वो अंत समय तक समर्पित करती हैं, बिल्कुल सही कहा ज़नाब बस बेटी ही हैं जो यह फ़र्ज़ पूरा करती हैं, अंतिम सांसों तक वो ये डोर नही छोड़ती हैं, #betikafarz #keywordsofvidi #collabwithme #competition 🐥इस प्रतियोगिता (competition) में आपको हर रविवार को ही शीर्षक / विषय (title) दिया जायेगा। 🐥 Collaboration का समय सुबह 10:30 बजे से रात 11:30 बजे तक है। 🐥 आपको महीने की अंतिम तारीख को त्र लालाप्रा प्रमाणपत्र (testimonials certificate) मिलेगा। (Poem of the month) 🐥Poem should contain 4-10 lines.