कोरा काग़ज़ Premium Challange-17 विषय 3 :- कशिश इश्क़ की (ग़ज़ल) कशिश तेरे इश्क़ की मुझे दीवाना बना गई। मेरे उखड़े से मूड को आज शायराना बना गई। मैं खोया रहता था पहले, जाने किन ख़यालों में। डुबाकर तेरे ख़यालों में, मुझे मस्ताना बना गई। मैं जब भी सोचता हूँ, पल भर को तेरे बारे में। ख़यालों को रूहानी और आशिक़ाना बना गई। अहसास मोहब्बत का कितना प्यारा होता है। अंजान था मैं पहले, इसे जाना पहचाना बना गई। होती है क्या चाहत, ये भी अब जान लिया मैंने। मिलाकर तुझसे मेरी रूह को परवाना बना गई। मैं दिल की बातों को, कभी कह भी ना पाता था। सिखाकर शेरो-शायरी, ग़ज़ल नज़राना बना गई। कोरा काग़ज़ Premium Challange-17 विषय 3 :- कशिश इश्क़ की (ग़ज़ल) Pic Credit :- Pinterest कशिश तेरे इश्क़ की मुझे दीवाना बना गई। मेरे उखड़े से मूड को आज शायराना बना गई।