सबकी निगाहें टिकी रहती थी कभी फ़िर जाने क्या हुआ,अजनबी सब हो गए कुछ अरमां निकलने की ताक में थे शायद बेअदबी से सहमे-सहमे, वो फ़िर दबे रह गए.. - कवि अनिल कुमार #KaviAnilKumar