" तुमसे मिलने का तजूर्बा आज जायज़ ठहरा , बात कुछ भी हो अब इस बात पे खामोशी कमाल हैं , कहीं हो तुम कहीं हूं मैं कहीं अब यादों का जोर नहीं , तुम्हें भूल जाने का भ्रम आज भी कायम रखे हैं . " --- रबिन्द्र राम Pic : pexels.com " तुमसे मिलने का तजूर्बा आज जायज़ ठहरा , बात कुछ भी हो अब इस बात पे खामोशी कमाल हैं , कहीं हो तुम कहीं हूं मैं कहीं अब यादों का जोर नहीं , तुम्हें भूल जाने का भ्रम आज भी कायम रखे हैं . " --- रबिन्द्र राम