गंभीर आर्थिक संकट किसी तरह किसी देश में राजनीतिक संकट खड़ा करने के साथ कानून व्यवस्था के लिए भी चुनौती बन सकता है इसका उदाहरण श्रीलंका वहां की स्थिति जैसे तेजी से बिगड़ रही है वह भारत के लिए भी चिंता का विषय बन गई आर्थिक हालात बिगड़ ना हो नैना के बेलगाम को जानने की एक और यहां जनता का असंतोष बढ़ता जा रहा है दूसरी और राजनीति का रास्ता भी गहरी जा रही है करीब-करीब हर जरूरी बस्ती के आसमान छूते दामों पर नाराज श्रीलंका की जनता सड़कों पर उतर रही है वह आम के राष्ट्रपति यह समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या करें क्या करें स्थिति की गंभीरता का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि राष्ट्रपति ने वित्त मंत्री को हटाकर जिन्हें इस मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी 24 घंटे के अंदर इस्तीफा दे दिया हालांकि भारत श्रीलंका की यथासंभव मदद कराई लेकिन इससे संदेश है क्यों है यह हालात संभालने वालों की संख्या बढ़ने का आदेश है कि जिन कारणों से बिगड़ी उसे कठोर लिया गया जिम्मेदार है इसके अलावा वे लोग जो आर्थिक नियमों को धता बताती हटके बढ़ाने और विदेशी मुद्रा भंडार खाली होते जाने के बाद भी नीतियों को आगे बढ़कर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने का ही काम किया यह ठीक है कि भारत श्रीलंका के हालात पर नजर रखे हुए हैं लेकिन केवल इतना ही नहीं इसके साथ ही उन पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है जिनके चलते गया इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने अधिकारियों के साथ एक बैठक की तोहरा की राज्य की ओर से मुफ्त सेवाएं और सुविधाएं देने का जो काम किया जा रहा है वह ऐसी स्थिति में लिया जा सकता ©Ek villain #मुफ्त खोरी की राजनीति #Love