जाने किसे बिछाना है, किसे संजोना है. मिट्टी की मूरत है या चेहरा खिलौना है. शर्त तो तुम्हें पाने की है ना जानां. तो क्या फर्क पड़ता है किसे खोना है. ये आबोहवा सरबसर बीमार कर देंगी. कहे कोई इस उश्शाक से कहाँ रोना है. जाने कैसा गुमां पाला है मैंने ज़िंदगी में. की एक दिन हर मैं को मय में होना हैं. तुम्हारी कीमत बस इतनी सी है 'अभय' की चंद कंधों को तुम्हारा बोझ ढोना हैं. अर्थ :- संजोना - सजाना जानां - जान आबोहवा - गर्म हवा सरबसर - सर से पांव तक उश्शाक - प्रेमी गुमां - भ्रम मय - शराब