मन तो मेरे पास मगर है इसका नाविक दूर कहीं जिसको सब मेरा कहते हैं वो तो दिखा नहीं मुझको कहने भर को मैं मेरा हूँ मैं ही मिला नहीं मुझको तन तो मेरे पास मगर है तन का मालिक दूर कहीं मन तो मेरे पास मगर है इसका नाविक दूर कहीं...1 धार अजानी नाव बिरानी खेवनहार अकेला है रिश्ते नाते कहने भर के साथ गुरु न चेला है चली चली जब चली अकेले जाए न ये डूब कहीं मन तो मेरे पास मगर है इसका नाविक दूर कहीं.....2 मेरे नाविक भेज बुलावा अपने पास बुला ले न प्यासा पंछी भटक रहा है इसकी प्यास बुझा दे न बंजारों सा भटक भटक कर अटक न जाए दूर कहीं मन तो मेरे पास मगर है इसका नाविक दूर कहीं...3 .....वि n e e त मेरे नाविक