पहले जब घर वाले डाँटते-बोलते थे न तो हमें बुरा लगता था, पर आज परदेश में हमें कोई डाँटने-बोलने वाला नहीं हैं, इसलिए आदतें बिगड़ गयी हैं,देर रात तक मोबाईल चलाना और सुबह लेट से उठना! अब मन करता हैं काश!कोई हमें डाँटने-बोलने वाला होता । #depression #काश!कोई डाँटने-बोलने वाला होता।