कविताएं सिर्फ शब्दों का समागम नहीं होती| (पूरी रचना पढ़े शीर्षक में) कविताएं सिर्फ़ शब्दों का समागम नहीं होती, समागम होती हैं, किसी व्यथित मन की भावनाओं का, किसी छोटे बच्चें की किलकारी का, किसी राह चलती अंजान मुस्कान की, किसी चाय के दुकान की| कविताएं उकेरती है, उन भावनाओं को बाहर, जो दिल की बंजर ज़मी में मानो "दर्द" नामक हिमालय पहाड़ से दबा है| कविताएं बोलती भी है,