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3. देवी का तीसरा स्वरूप और अंक - सात ( 7 ) -------

3. देवी का तीसरा स्वरूप और अंक - सात ( 7 )
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शैलपुत्री (अंक - 9 ) जीवन के विस्तार का प्रतिनिधित्व करती है तो मैया ब्रह्मचारिणी  ( अंक- 8 ) जीवन चेतना और उन्नति का पोषण। आज मैं आपको मैया चन्द्रघण्टा ( अंक - 7 ) के बारे में अपनी बात बताता हूँ तो देखिए--- दुनिया सात द्वीपों का समूह भर है। इसमें सात ही समंदर हैं। सुना है कि सूर्यदेव के रथ में भी सात अश्व लगे हैं। सात दिन की यात्रा को सप्ताह कहते हैं।अभी दुनिया के पास 7 ही अजूबे हैं।हमने सुना है कि आसमानों की संख्या भी सात है। सात जाति समूह में समाज पूर्ण होता है। भारतीय दर्शन में सृष्टि के प्रथम ऋषियों की संख्या भी 7 है जिन्हें सप्त ऋषियों के रुप में जानते हैं।हम अपने सम्पूर्ण जीवन को भी अवस्थाओं में जीते हैं। प्रकृति में रंग भी 7 हैं और सुरों की संख्या भी 7 ही है। सप्तपदी के सात फेरे हैं। संख्या- 7 दुनिया में अनोखेपन को प्रकट करती है और दुनिया के सभी आश्चर्य और जीवन में होने वाले चमत्कार माता चन्द्रघण्टा की कृपा से ही होते हैं।वे ख़ुशी और उत्साह की देवी हैं। ध्वनियों की स्वामिनी, संगीत की आत्मा और सजगता की भी देवी है। तो आओ हम कैप्शन में उनके साक्षात स्वरूप के दर्शन करते हैं----  3. देवी का तीसरा स्वरूप और अंक - सात ( 7 )
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शैलपुत्री (अंक - 9 ) जीवन के विस्तार का प्रतिनिधित्व करती है तो मैया ब्रह्मचारिणी  ( अंक- 8 ) जीवन चेतना और उन्नति का पोषण। आज मैं आपको मैया चन्द्रघण्टा ( अंक - 7 ) के बारे में अपनी बात बताता हूँ तो देखिए--- दुनिया सात द्वीपों का समूह भर है। इसमें सात ही समंदर हैं। सुना है कि सूर्यदेव के रथ में भी सात अश्व लगे हैं। सात दिन की यात्रा को सप्ताह कहते हैं।अभी दुनिया के पास 7 ही अजूबे हैं।हमने सुना है क
3. देवी का तीसरा स्वरूप और अंक - सात ( 7 )
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शैलपुत्री (अंक - 9 ) जीवन के विस्तार का प्रतिनिधित्व करती है तो मैया ब्रह्मचारिणी  ( अंक- 8 ) जीवन चेतना और उन्नति का पोषण। आज मैं आपको मैया चन्द्रघण्टा ( अंक - 7 ) के बारे में अपनी बात बताता हूँ तो देखिए--- दुनिया सात द्वीपों का समूह भर है। इसमें सात ही समंदर हैं। सुना है कि सूर्यदेव के रथ में भी सात अश्व लगे हैं। सात दिन की यात्रा को सप्ताह कहते हैं।अभी दुनिया के पास 7 ही अजूबे हैं।हमने सुना है कि आसमानों की संख्या भी सात है। सात जाति समूह में समाज पूर्ण होता है। भारतीय दर्शन में सृष्टि के प्रथम ऋषियों की संख्या भी 7 है जिन्हें सप्त ऋषियों के रुप में जानते हैं।हम अपने सम्पूर्ण जीवन को भी अवस्थाओं में जीते हैं। प्रकृति में रंग भी 7 हैं और सुरों की संख्या भी 7 ही है। सप्तपदी के सात फेरे हैं। संख्या- 7 दुनिया में अनोखेपन को प्रकट करती है और दुनिया के सभी आश्चर्य और जीवन में होने वाले चमत्कार माता चन्द्रघण्टा की कृपा से ही होते हैं।वे ख़ुशी और उत्साह की देवी हैं। ध्वनियों की स्वामिनी, संगीत की आत्मा और सजगता की भी देवी है। तो आओ हम कैप्शन में उनके साक्षात स्वरूप के दर्शन करते हैं----  3. देवी का तीसरा स्वरूप और अंक - सात ( 7 )
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शैलपुत्री (अंक - 9 ) जीवन के विस्तार का प्रतिनिधित्व करती है तो मैया ब्रह्मचारिणी  ( अंक- 8 ) जीवन चेतना और उन्नति का पोषण। आज मैं आपको मैया चन्द्रघण्टा ( अंक - 7 ) के बारे में अपनी बात बताता हूँ तो देखिए--- दुनिया सात द्वीपों का समूह भर है। इसमें सात ही समंदर हैं। सुना है कि सूर्यदेव के रथ में भी सात अश्व लगे हैं। सात दिन की यात्रा को सप्ताह कहते हैं।अभी दुनिया के पास 7 ही अजूबे हैं।हमने सुना है क