"प्रकृति का तिसरा नियम" आपको जीवन से जो कुछ भी मिलें उसे पचाना सीखो क्योंकि भोजन न पचने पर रोग बढते है। पैसा न पचने पर दिखावा बढता है बात न पचने पर चुगली बढती है। प्रशंसा न पचने पर अंहकार बढता है। निंदा न पचने पर दुश्मनी बढती है । राज न पचने पर खतरा बढता है। दुःख न पचने पर निराशा बढती है। और सुख न पचने पर पाप बढता है।