बिस्तर पर लेटे सुबह से शाम हो जाती है। खिड़की से दिन को ढलता हुआ देखना बिल्कुल वैसा है जैसे मैं कमरे का दीवार बन गया हूँ और कोई आये जाए कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं एक ढांचे सा बिस्तर पर हूँ जो केवल अस्तित्व में है। इंसान दूसरों को मूर्ख बना सकता है परंतु स्वयं को वह मूर्ख नहीं बना सकता। खुद को मूर्ख बनाने में सबकुछ बर्बाद हो जाता है। स्वयं से ही छल करना; इससे बुरा क्या होगा। जीवन को बदतर बनाना और सबकुछ छूटने जाने के बाद क्या ही बच जाता है। अब तो उम्मीद, धैर्य सबकुछ खत्म हो रहा है। मैं तल से गर्त में ही हूँ। मैं शायद मेहनत करना नहीं सिख पाया। मैं अनुशासन में रहना नहीं सिख पाया। मैंने हमेशा अपनी मर्ज़ी की। माँ बाप के दिये संसाधनों को बर्बाद कर दिया। मैं न अच्छा विद्यार्थी बन पाया और न अच्छा बेटा। खुद से उम्मीद हज़ार हैं पर पूरा एक भी नहीं कर पाता क्योंकि मेरे में औकात नहीं है। मैं 'लूजर' था, हूँ और रहूंगा' ये मेरी मैनिफेस्टेशन नहीं सच है। मैं कहीं का नहीं हूँ। बस दुःख है और कुछ शब्द, इन्ही के साथ साथ वर्ष बीत रहे हैं और सब कुछ क्षीण हो रहा है। ©motivational Gyan.2 #GoodMorning motivational shayari in hindi motivation shayari motivational thoughts in hindi motivational thoughts for students best motivational thoughts