जिसने तलवार के नोक से अपना भविष्य लिखा था जिसके क्रोध और नफरत से दुनिया डरी थी जिसे भारतवर्ष के इतिहास का कुशल योद्धा कहा गया उसने एक दिन अपना नजर और नजरिया दोनो बदला और अपनी तलवार तोड़ दी अपनी सारी ज़िद छोड़ दी उसने दुनिया से कहा था जीत से कही ज्यादा जरूरी है शांति क्रोध और घृणा से ज्यादा जरूरी है प्रेम जहां से शुरू हुआ बुद्धत्व जहा का वैभव है करुणा प्रेम और आत्मसम्मान फिर बिहारी लाचार क्यों फिर बिहार बीमार क्यों जहां से नजर और नजरिया लेकर दुनिया समृद्ध हुई उस बिहार को भी, बिहारियों को भी बदलना होगा नजर भी नजरिया भी ©मिहिर बिहार