पक्ष विपक्ष में देश बँटा अब बँटा है घर-परिवार, इसमें प्रजा नहीं अब कोई सबके सब सरकार, मतभेदों को दूर भुलाकर गले मिले अब कौन, बात बातपर झगड़े लफड़े ख़त्म न हो तक़रार, मान मनौव्वल बोल-चाल सब हो जाते हैं बंद, तुम अपने घर जाओ बहिना भाई करे इज़हार, इधर पिया से तनातनी है भावशून्य व्यवहार, किसको पड़ी जरूरत कोई रहा नहीं दरकार, कुनबों में भी अनुशासन का होना बहुत ज़रूरी, प्रेम हृदय को शीतल करता रक्खो सद्व्यवहार, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #अनुशासन#