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कर्तव्य (दोहे) निभा सके कर्तव्य को, होता उसका नाम

कर्तव्य (दोहे)

निभा सके कर्तव्य को, होता उसका नाम।
मंजिल भी मिलती उसे, जो करता है काम।।

दर-दर वो भटका फिरे, जो रहता निष्काम।
बोध नहीं कर्तव्य का, होता भी हैरान।।

बोध हुआ कर्तव्य का, ईश्वर भी हैं साथ।
कहते सभी सुजान हैं, रखते सिर पर हाथ।।

भूले जो कर्तव्य हैं, बैठे सीना तान।
कुर्सी को थामे रहें, नेता यही महान।।

चोरी ये कर्तव्य की, करते हैं जीतोड़।
हासिल कुर्सी जब करें, फिर लें मुख को मोड़।।

चूके जो कर्तव्य से, रहे नहीं सम्मान।
बोझिल ये जीवन हुआ, कब समझे इंसान।।
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देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit 
  #कर्तव्य #दोहे #nojotohindipoetry 

कर्तव्य (दोहे)

निभा सके कर्तव्य को, होता उसका नाम।
मंजिल भी मिलती उसे, जो करता है काम।।

दर-दर वो भटका फिरे, जो रहता निष्काम।
deveshdixit4847

Devesh Dixit

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#कर्तव्य #दोहे #nojotohindipoetry कर्तव्य (दोहे) निभा सके कर्तव्य को, होता उसका नाम। मंजिल भी मिलती उसे, जो करता है काम।। दर-दर वो भटका फिरे, जो रहता निष्काम। #Poetry #sandiprohila

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