जिनकी गलियों में दिन रात मजनू बने फिरते हो हाथों में गुलाब होठों पर मुस्कान लिए फिरते हो कभी वो जान हमारी थी कहते है ये शहर वाले तुम हाँथों में जिसका हाँथ लिए फिरते हो प्रियांशु शेखर #priyanshushekhar