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जिनकी गलियों में दिन रात मजनू बने फिरते हो हाथों

जिनकी गलियों में दिन रात मजनू बने  फिरते हो 
हाथों में गुलाब होठों पर मुस्कान लिए फिरते हो
कभी वो जान हमारी थी कहते है ये  शहर वाले 
तुम हाँथों में जिसका हाँथ लिए फिरते हो 

प्रियांशु शेखर #priyanshushekhar
जिनकी गलियों में दिन रात मजनू बने  फिरते हो 
हाथों में गुलाब होठों पर मुस्कान लिए फिरते हो
कभी वो जान हमारी थी कहते है ये  शहर वाले 
तुम हाँथों में जिसका हाँथ लिए फिरते हो 

प्रियांशु शेखर #priyanshushekhar