ये रात फिर हुई उस रात की तरह, ये जरा सी आवाज,उस बरसात की तरह, अभी तो शहर बदल था ख़ुशी की तरह, किसी ने देख लिया था फिर उसी की तरह, हमारा मन नही करता अब तुम्हारे बग़ैर, क्या तुम्हारा मन नही करता हमारे मन की तरह, -प्रवीण उसी की तरह#प्रवीण