विद्यालय में गुरु और सहपाठियों का से निवेदन सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रस्थान बिंदु है भावी जीवन की दिशा यही तय होती है इसलिए तेतरीय उपनिषद में जीवन का पहला पाठ पढ़ाते हुए गुरु शिष्य से कहते हैं शिष्य सदा सत्य बोलो धर्म का प्रचार करो माता पिता और आचार्य को देवता समझो स्वाध्याय में प्रमाण मत करो किंतु निष्काम कर्म का परित्याग करो यह कोई सामान्य उपदेश नहीं है सभी धर्म का सार है यह सुखी जीवन और स्वस्थ सामाजिक संरचना के उतने ही जरूरी है जितना जीने के लिए हवा पानी ©Ek villain #हमेशा माता-पिता की सेवा करो