हे वसुंधरा तेरी गोदी में, नर पिसाच हैं घूम रहे। करते नाद सहित तांडव, दिन रात बराबर झूम रहे। आसिफा, निर्भया या ट्विंकल अब नहीं सुरक्षित आम रहा, जिसकी लाठी भैंस उसी की, चापलूस तल चूम रहे। अरुण शुक्ल अर्जुन प्रयागराज Pàñdéy Àñuràg