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इश्क की गलियों में अब हमारा रोज का आना जाना है,




इश्क की गलियों में अब हमारा रोज का आना जाना है,
कोई  गर  हमारा पता पूछे तो बस अब यही ठिकाना है
इश्क के दरिया में अब हर रोज हम डुबकियां लगाते हैं,
हर बार यहां पर इश्क का हम एक नया रंग ही पाते  हैं,
हम हरदम अपने महबूब की आंखो में ही खोए रहते  हैं,
धड़कन बन एक दूजे के दिल में अब धड़कते ही रहते  हैं,
इश्क खुदा की बख्शी नैमत है हमने मांगी थी वो मन्नत है,
इश्क से दुनियां रोशन है और अब इश्क ही हमारी जन्नत है।

-"Ek Soch"






 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏

💫Collab with रचना का सार...📖

🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  को  प्रतियोगिता:-22 में स्वागत करता है..🙏🙏
*आप सभी 8 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।

💫 प्रतियोगिता ¥22:- इश्क़ की गलियों में



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कोई  गर  हमारा पता पूछे तो बस अब यही ठिकाना है
इश्क के दरिया में अब हर रोज हम डुबकियां लगाते हैं,
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हम हरदम अपने महबूब की आंखो में ही खोए रहते  हैं,
धड़कन बन एक दूजे के दिल में अब धड़कते ही रहते  हैं,
इश्क खुदा की बख्शी नैमत है हमने मांगी थी वो मन्नत है,
इश्क से दुनियां रोशन है और अब इश्क ही हमारी जन्नत है।

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