शुभ दीपावली दीवाली मनानी है तो मनालो, पुरी- कचोरी, रसगुल्ले, खीर बनालो, घर की गंदगी तो साफ हो गई होंगी, मन की बुराइयां भी हटालो। रीतो से मुंह,मोड़ ना तू, दीप जलाना छोड़ ना तू। अरे आतंकवादी थोड़े ही है, पटाखे और बम फोड़ ना तू। ये धड़ाम-धुडूम की आवाज़ से क्या होगा, मोहल्ले के जानवर और पक्षी उड़ जाएंगे, और जो बैठे रहेंगे होंगे वो अंधे-बहरे और बाकी बे-मौत मारे जाएंगे। फिर, अपने बच्चो को बस कहानियां सुनना, अव-शेष भी नसीब ना होंगे, देखना चाहे तो किताबो पर छपे इनके बस चित्र दिखाना। ख़ैर, तुम को क्या,पशु-पक्षी ही तो है मरने दो, पर, ये जो तुम, चखरी, फुलझड़ी, मुर्गा-छाप, जला रहे हो तुम्हे मालूम है ना कि, की प्रदूषण की चादर फैला रहे हो, अंततः ओढ़नी तुमको ही है बिलावजह क्यू कब्र में पैर लटका रहे हो? क्यूं प्रकृति के खिलाफ क़दम धर रहे हो, अपने ही हाथों से दूषित हवा, फैला मर रहे हो। और ये जो धुएं वाला रॉकेट उड़ा रहे हो कहां पहुंच जाओगे? चंद्रयान तक तो ठीक से पहुंचा नहीं तुम इसके सहारे क्या चांद पर पहुंच जाओगे? तेरी मेरी इसकी उसकी किसी की भी ना खुशियां नदारद हो, प्रदूषण रोक पाओ, तो ही दिवाली मुबारक हो। ~हेमंत राय। #happy #Diwali #festival #poem #nojoto