White वाह! ये किस्मत, कैसे कैसे रंग दिखाती है, ज़ब भी जीना चाहो, तब ही खेल खिलाती है, कभी खुशियों की बारिश कर जाती है, कभी गमो की परछाई बन कर डराती है, वाह! री किस्मत, तेरे भी किस्से ही निराले हैं, कभी हँसी के पटाखे , कभी दर्द के निवाले हैं, कर देती है कभी कभी, तू घनघोर अंधेरा, कभी नज़र आ जाता है, महकता हुआ सवेरा, ये किस्मत कभी लबों पर मुस्कान दे जाती है, कभी कभी अश्कों की, ये खान दे जाती है, नहीं समझ आते, तेरे ये अजब गज़ब से किस्से, तू क्यों नहीं लाती है,बस खुशियाँ सबके हिस्से,।। -पूनम आत्रेय ©poonam atrey #वाहरीकिस्मत #पूनमकीकलमसे #नोजोटोहिंदी अदनासा- प्रशांत की डायरी