कुछ विराम भी दिया करो शब्दों को,कोई समझे पढ़े भी तो सही, मैंने कहा - इसकी परवाह की होती तो कलम ही न चल पाती। अपने जज्बातों को यूं बयां ही न कर पाती।😊 हासिल भला क्या हुआ तुम्हें? मैं मुस्कुराई और कहा - इन्हीं शब्दों में ही कहीं जवाब मिल जाएगा तुम्हें।🌼😊🌸🌼❤️ #writingislove