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मत पूछो मेरे यार कि मैंने, कैसी दुनियादारी देखी। द

मत पूछो मेरे यार कि मैंने,
कैसी दुनियादारी देखी।
देखा गैरो का प्यार बहुत,
और अपनो की गद्दारी देखी।

बड़ी विवशता देखी मैंने,
और बहुत लाचारी देखी।
किस्मत पर लगे, देखे ताले
फिर घर की चार दिवारी देखी।

उसी धर्मसंकट में उलझी, 
फिर मैने इक नारी देखी। 
पिता प्रेम की आस में जलती,
पति प्रेम की मारी देखी।

ना जाने क्यों प्यार की मैने,
दुश्मन दुनिया सारी देखी।
फिर दौलत को जीतते देखा,
और गरीबी हारी देखी।

देखे दुनिया के रंग बहुत,
और बहुत पिचकारी देखी।
पर मैने गम-ए-जुदाई में भी
बस तस्वीर तुम्हारी देखी.....
N kumar #दुनियादारी_देखी
मत पूछो मेरे यार कि मैंने,
कैसी दुनियादारी देखी।
देखा गैरो का प्यार बहुत,
और अपनो की गद्दारी देखी।

बड़ी विवशता देखी मैंने,
और बहुत लाचारी देखी।
किस्मत पर लगे, देखे ताले
फिर घर की चार दिवारी देखी।

उसी धर्मसंकट में उलझी, 
फिर मैने इक नारी देखी। 
पिता प्रेम की आस में जलती,
पति प्रेम की मारी देखी।

ना जाने क्यों प्यार की मैने,
दुश्मन दुनिया सारी देखी।
फिर दौलत को जीतते देखा,
और गरीबी हारी देखी।

देखे दुनिया के रंग बहुत,
और बहुत पिचकारी देखी।
पर मैने गम-ए-जुदाई में भी
बस तस्वीर तुम्हारी देखी.....
N kumar #दुनियादारी_देखी
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N Kumar

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