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मां पापा और भाई.... दुलार प्यार और बचपन सब इकट्ठे

मां पापा और भाई....
दुलार प्यार और बचपन
सब इकट्ठे याद आ रहे हैं।
मानो मैं उनसे बहुत दूर जा रही हूं।
मैं आगे बढ़ते जा रही हूं
वह पीछे छूटते जा रहे हैं।
मैं पीछे नहीं जा सकती 
वह आगे नहीं आ सकते। 
आगे बढ़े भी तो रास्ते अलग हो जाएंगे।
मायने मर्यादाएं और कुछ मान्यताएं...
 जो कभी बदल नहीं सकती
धीरे-धीरे सब रिश्ते "  पापा " होते जा रहे हैं
हां..! " पापा"...
मेरे पापा जो अब रहे नहीं ....
स्मृति शेष है।..!!

©Gudiya Gupta (kavyatri).....
  #स्मृति शेष है