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गर्दिश तुमपे ही नहीं वक़्त पे भी आती है रात को देखो

गर्दिश तुमपे ही नहीं वक़्त पे भी आती है
रात को देखो तो सही चाँद सी मुस्काती है
यही चाँदनी की ज़ुबाँ सहर नया खिलाती है
तुम हो के ये ख़लिश तुमको ही खाए जाती है
 #moonwhispered
गर्दिश तुमपे ही नहीं वक़्त पे भी आती है
रात को देखो तो सही चाँद सी मुस्काती है
यही चाँदनी की ज़ुबाँ सहर नया खिलाती है
तुम हो के ये ख़लिश तुमको ही खाए जाती है
 #moonwhispered