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सागर की लहरों सा, आना जाना तुम्हारा..! दिल की दह

 सागर की लहरों सा,
आना जाना तुम्हारा..!

दिल की दहलीज़ पे,
शोर मचाना तुम्हारा..!

नज़र न लगे तुम्हें यूँ,
खिलखिलाती रहो तुम सदा..!

मुझे भाता है जुगनुओं सा,
जगमगाना तुम्हारा..!

पसंद है वसंत का मौसम मुझे,
ख़्वाबों को संग में सजाना तुम्हारा..!

©SHIVA KANT(Shayar)
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