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मेरा गर्दन और तेरी पतली कमर, खुली हवा में मचा ले त

मेरा गर्दन और तेरी पतली कमर,
खुली हवा में मचा ले तू कहर!
कभी पर्वत कभी नहर,मौज में है शहर - शहर!
मुस्कान तेरा मेरा देखेगी दुनिया,
नजर हो सीधी या बदगुनिया!
भैकेंट है अभी समर,
खुली हवा में मचा ले तू कहर!!

©pramod malakar
  #खुली हवा में ......

#खुली हवा में ...... #शायरी

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