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मैंने देखा तुम्हें कराहती खटिया पर चरमराते उन अं

मैंने देखा तुम्हें 
कराहती खटिया पर चरमराते 
उन अंतिम दिनों में---
देखी मैंने 
शिथिल छटपटाहट मैं अट्टहास करती मृत्यु 
सांसों के बोझ से दबता जीवन ---
मैंने देखा तुम्हें 
संघर्षरत! एकाकी! परबस! ---
देखा तुम्हारी सेनाओं को 
जिन्हें तुमने तराशा था इसी क्षण के लिए 
तुमसे विमुख! ---
जाते हुए भी देखा तुम्हें 
एक अज्ञात गन्तव्य को 
क्षार- क्षार, अस्थि- अस्थि को अकेले !---
फिर तुम्हें किसी ने नहीं देखा 
किन्तु मैं 
आज भी देखता हूँ तुम्हारी छवि 
अपने अज्ञात भविष्य के 
भयावह सपनों में!!
              के के जोशी  उन अंतिम दिनों में #भयावह सपने
मैंने देखा तुम्हें 
कराहती खटिया पर चरमराते 
उन अंतिम दिनों में---
देखी मैंने 
शिथिल छटपटाहट मैं अट्टहास करती मृत्यु 
सांसों के बोझ से दबता जीवन ---
मैंने देखा तुम्हें 
संघर्षरत! एकाकी! परबस! ---
देखा तुम्हारी सेनाओं को 
जिन्हें तुमने तराशा था इसी क्षण के लिए 
तुमसे विमुख! ---
जाते हुए भी देखा तुम्हें 
एक अज्ञात गन्तव्य को 
क्षार- क्षार, अस्थि- अस्थि को अकेले !---
फिर तुम्हें किसी ने नहीं देखा 
किन्तु मैं 
आज भी देखता हूँ तुम्हारी छवि 
अपने अज्ञात भविष्य के 
भयावह सपनों में!!
              के के जोशी  उन अंतिम दिनों में #भयावह सपने
kkjoshi4529

K K Joshi

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