न मै मंदिर मे हूँ न मै मस्जिद मे हूँ न किसी चौराहे पे न किसी चौबारा पे हूँ फुर्सत से देख ए बंदे मै तेरी मन की दीवारों मे हूँ गली गली घूमता है ढूँढता मुझे मै कुदरत के नजारों मे हूँ ये सृष्टि बनाई है हर जीव मै मैने जान बसाई है लेकिन जब से तेरे जीवन मे मोह लालच और छल कपट ने जगई बनाई है तब से मैने अपनी बनाई इस दुनिया से दूरी बनाई है लगता है ड़र अब मुझे भी इस जग से कहीं सवाल न उठा दे मेरे ही अस्तित्व पे बेशक मासूम की किलकारी मे हँसी मेरी आज भी गूँज रही लेकिन तेरे इस घिनौने स्वरूप से पलकें मेरी भीग रही अफसोस मुझे होता है क्यों मैने ये सृष्टि रचाई मै तो तेरे मन मे बसता था तुने मुझे मंदिर मे बिठाकर धर्म की आड़ मे पाखंड रचाकर देकर मेरे राम नाम की दुहाई मेरे ही जग मे मेरी कर दी रुसवाई क्यों मैने ये सृष्टि रचाई.......................... #निखिल_कुमार_अंजान............ #मेरी_डायरी #निखिल_कुमार_अंजान #nojoto