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ईशु परमेश्वर का आज्ञाकारी था, इसलिए उसने हमारे सार

ईशु परमेश्वर का आज्ञाकारी था, इसलिए उसने हमारे सारे पापों और श्रापों को; अपने ऊपर ले लिया, और क्रूस को स्विकारा। ताकि उसकी आज्ञाकारीता द्वारा;  हम परमेश्वर के ग्रहण योग्य हो सके, और आपकी आशीषे; किसी भले कार्यों के कारण नहीं; बल्कि मसीह में आपकी विरासत है।  आइए इसे आज के टॉपिक; "उसके आज्ञाकारीता के फल" में समझते हैं।                
  इसलिये जैसा एक अपराध; सब मनुष्यों के लिये, दण्ड की आज्ञा का कारण हुआ , वैसे ही एक सत्यनिष्ठा का काम भी; सब मनुष्यों के लिये , जीवन और सत्यनिष्ठ ठहराए जाने का कारण हुआ। ( रोमियो ५;१८ ) । " पुराने नियम में परमेश्वर की आशीषे, इस्राएल की संतानो के लिए; नियम की आज्ञा मानने पर निर्धारित थी । उदाहरण के लिए , परमेश्वर ने इच्छा की थी; कि वे उसके सामने; राजा और याजको के रुप में चले , किंतु उनकी आज्ञाकारिता; उन आशीषो के लिए एक पूर्वजरुरत थी। ताकि वे उनके जीवनो में दिखाई दे । निर्गमन १९ ; ५-६ में उसने कहा , " इसलिये अब यदि तुम; निश्चय मेरी मानोगे , और मेरी वाचा का पालन करोगे , तो सब लोगों में से; तुम ही मेरा निज धन ठहरोगे ; समस्त पृथ्वी तो मेरी है । और तुम मेरी दृष्टि में; याजकों का राज्य; और पवित्र जाति ठहरोगे ।... ' किंतु उन्होंने उसके नियमो को तोड़ा, और उसकी आशीषो और वाचा की परिपूर्णता का आनंद, नही उठा सके । किंतु नये नियम में, आज हमारे साथ ऐसा नही है । कुलुस्सियों १;१२ कहता है , “ और पिता का धन्यवाद करते रहो , जिसने हमे इस योग्य बनाया; कि ज्योति में, पवित्र लोगों के साथ; उत्तराधिकार में सहभागी हो । हम योग्य बनाए गए है। प्रकाश के राज्य में ; संतो के साथ, विरासत के सहभागी होने के लिए । हम आशीषो के और परमेश्वर के जीवन के, लाभो के सहभागी और भागिदार है। जो कि परमेश्वर के सारे संतो के लिए, सुरक्षित की गई है । यह हमारी आज्ञाकारिता के कारण नही हुआ; किंतु मसीह की आज्ञाकारिता के कारण। ( रोमियो ५ ; १९ ) । यीशु मसीह ने; नियम को पूरा किया , और फिर उसने उसको समाप्त कर दिया । आप उसकी आज्ञाकारिता के फल है । उसकी आज्ञाकारिता के कारण , परमेश्वर का उपहार उसकी सत्यनिष्ठा की आशीष; आपके ऊपर ऊँडेली गई हैं । आज आपको आशिषों के लिए; परमेश्वर के नियम की “ आज्ञा ” मानने की जरुरत नही है । आप मसीह में, सारी आत्मिक आशीषो के साथ; आशीषित जन्मे थे। ( इफिसियो १ ; ३ ) । नये नियम में, कहीं भी हमे नही बताया गया है; कि हम आशीष पाने के लिए “ आज्ञा " माने ; वरन , हम उसके आज्ञाकारी लोग कहलाते है,  ( १ पतरस १;१४ ) । हम उन लोगो की तरह, परिभाषित किए जाते है; जिन्होंने हृदय से, परमेश्व

ईशु परमेश्वर का आज्ञाकारी था, इसलिए उसने हमारे सारे पापों और श्रापों को; अपने ऊपर ले लिया, और क्रूस को स्विकारा। ताकि उसकी आज्ञाकारीता द्वारा; हम परमेश्वर के ग्रहण योग्य हो सके, और आपकी आशीषे; किसी भले कार्यों के कारण नहीं; बल्कि मसीह में आपकी विरासत है। आइए इसे आज के टॉपिक; "उसके आज्ञाकारीता के फल" में समझते हैं। इसलिये जैसा एक अपराध; सब मनुष्यों के लिये, दण्ड की आज्ञा का कारण हुआ , वैसे ही एक सत्यनिष्ठा का काम भी; सब मनुष्यों के लिये , जीवन और सत्यनिष्ठ ठहराए जाने का कारण हुआ। ( रोमियो ५;१८ ) । " पुराने नियम में परमेश्वर की आशीषे, इस्राएल की संतानो के लिए; नियम की आज्ञा मानने पर निर्धारित थी । उदाहरण के लिए , परमेश्वर ने इच्छा की थी; कि वे उसके सामने; राजा और याजको के रुप में चले , किंतु उनकी आज्ञाकारिता; उन आशीषो के लिए एक पूर्वजरुरत थी। ताकि वे उनके जीवनो में दिखाई दे । निर्गमन १९ ; ५-६ में उसने कहा , " इसलिये अब यदि तुम; निश्चय मेरी मानोगे , और मेरी वाचा का पालन करोगे , तो सब लोगों में से; तुम ही मेरा निज धन ठहरोगे ; समस्त पृथ्वी तो मेरी है । और तुम मेरी दृष्टि में; याजकों का राज्य; और पवित्र जाति ठहरोगे ।... ' किंतु उन्होंने उसके नियमो को तोड़ा, और उसकी आशीषो और वाचा की परिपूर्णता का आनंद, नही उठा सके । किंतु नये नियम में, आज हमारे साथ ऐसा नही है । कुलुस्सियों १;१२ कहता है , “ और पिता का धन्यवाद करते रहो , जिसने हमे इस योग्य बनाया; कि ज्योति में, पवित्र लोगों के साथ; उत्तराधिकार में सहभागी हो । हम योग्य बनाए गए है। प्रकाश के राज्य में ; संतो के साथ, विरासत के सहभागी होने के लिए । हम आशीषो के और परमेश्वर के जीवन के, लाभो के सहभागी और भागिदार है। जो कि परमेश्वर के सारे संतो के लिए, सुरक्षित की गई है । यह हमारी आज्ञाकारिता के कारण नही हुआ; किंतु मसीह की आज्ञाकारिता के कारण। ( रोमियो ५ ; १९ ) । यीशु मसीह ने; नियम को पूरा किया , और फिर उसने उसको समाप्त कर दिया । आप उसकी आज्ञाकारिता के फल है । उसकी आज्ञाकारिता के कारण , परमेश्वर का उपहार उसकी सत्यनिष्ठा की आशीष; आपके ऊपर ऊँडेली गई हैं । आज आपको आशिषों के लिए; परमेश्वर के नियम की “ आज्ञा ” मानने की जरुरत नही है । आप मसीह में, सारी आत्मिक आशीषो के साथ; आशीषित जन्मे थे। ( इफिसियो १ ; ३ ) । नये नियम में, कहीं भी हमे नही बताया गया है; कि हम आशीष पाने के लिए “ आज्ञा " माने ; वरन , हम उसके आज्ञाकारी लोग कहलाते है, ( १ पतरस १;१४ ) । हम उन लोगो की तरह, परिभाषित किए जाते है; जिन्होंने हृदय से, परमेश्व #अनुभव #nojotovideo

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