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वो हर बात पर इतना उलझते- संभलते क्यों हैं? इतना


वो हर बात पर इतना 
उलझते- संभलते क्यों हैं?
इतना डरते हैं तो फिर 
मोहब्बत करते क्यों है?
न पाने की खुशी न खोने का ग़म है,
वो हर ख्वाईश पर फिर 
इतना मचलते क्यों हैं?
वक्त की रेत पर 
पैरों के निशान के मानिंद,
हर साल फिर मौसम 
बदलते क्यों हैं?
जिन्हें डर है 
दामन पे दाग लग न जाएं,
वो बारिश में घर से
 फिर निकलते क्यों हैं...
 इस फ़ैसले पे आख़िर 
दोनों ही ख़ुश नहीं हैं।
#कौनख़ुशहै #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi

वो हर बात पर इतना 
उलझते- संभलते क्यों हैं?
इतना डरते हैं तो फिर 
मोहब्बत करते क्यों है?
न पाने की खुशी न खोने का ग़म है,
वो हर ख्वाईश पर फिर 
इतना मचलते क्यों हैं?
वक्त की रेत पर 
पैरों के निशान के मानिंद,
हर साल फिर मौसम 
बदलते क्यों हैं?
जिन्हें डर है 
दामन पे दाग लग न जाएं,
वो बारिश में घर से
 फिर निकलते क्यों हैं...
 इस फ़ैसले पे आख़िर 
दोनों ही ख़ुश नहीं हैं।
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