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हजारों ख़्वाब टूटते हैं। तब कहीं जाकर इक सवेर होती

हजारों ख़्वाब टूटते हैं।

तब कहीं जाकर इक सवेर होती है। हजारों ख़्वाब टूटते हैं।

तब कहीं जाकर इक सवेर होती है।

(और तुम्हें लगता है, कि सुबह रात के बाद होती है।)

#sirsawali #sneh❤️
हजारों ख़्वाब टूटते हैं।

तब कहीं जाकर इक सवेर होती है। हजारों ख़्वाब टूटते हैं।

तब कहीं जाकर इक सवेर होती है।

(और तुम्हें लगता है, कि सुबह रात के बाद होती है।)

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