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घास पे शबनम ने भी अब बैठने को मना कर दिया हैं, आईं

घास पे शबनम ने भी अब बैठने को मना कर दिया हैं,
आईंने ने भी मेरा चेहरा देखना अब मना कर दिया हैं!

जनवरी खत्म होने को हैं, मैं अब भी ठंड से ठिठुर रहा हूँ,
जलती लकड़ियों ने भी अब सुलगना मना कर दिया हैं!

मैं जानता हूँ, उसकी भी ख़ामोशी सब से छुप के रो रही होगी,
उसके घर वालों ने अब उसका घर से निकलना मना कर दिया हैं!

prem_nirala_ घास पे शबनम ने भी अब बैठने को मना कर दिया हैं,
आईंने ने भी मेरा चेहरा देखना अब मना कर दिया हैं!

जनवरी खत्म होने को हैं, मैं अब भी ठंड से ठिठुर रहा हूँ,
जलती लकड़ियों ने भी अब सुलगना मना कर दिया हैं!

मैं जानता हूँ, उसकी भी ख़ामोशी सब से छुप के रो रही होगी,
उसके घर वालों ने अब उसका घर से निकलना मना कर दिया हैं!
घास पे शबनम ने भी अब बैठने को मना कर दिया हैं,
आईंने ने भी मेरा चेहरा देखना अब मना कर दिया हैं!

जनवरी खत्म होने को हैं, मैं अब भी ठंड से ठिठुर रहा हूँ,
जलती लकड़ियों ने भी अब सुलगना मना कर दिया हैं!

मैं जानता हूँ, उसकी भी ख़ामोशी सब से छुप के रो रही होगी,
उसके घर वालों ने अब उसका घर से निकलना मना कर दिया हैं!

prem_nirala_ घास पे शबनम ने भी अब बैठने को मना कर दिया हैं,
आईंने ने भी मेरा चेहरा देखना अब मना कर दिया हैं!

जनवरी खत्म होने को हैं, मैं अब भी ठंड से ठिठुर रहा हूँ,
जलती लकड़ियों ने भी अब सुलगना मना कर दिया हैं!

मैं जानता हूँ, उसकी भी ख़ामोशी सब से छुप के रो रही होगी,
उसके घर वालों ने अब उसका घर से निकलना मना कर दिया हैं!
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Prem Nirala

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