#कई_दफ़ा छेड़ा था उसने, फिर भी चुप वो रहती थी, घर का माली हालत देख, बहुत कुछ वो सहती थी.! चुप्पी को सहमती समझ, बोस ने पकड़ा दामन था, नाक के ऊपर चढ़ा जो पानी, झापड़ बोस को मारा था, त्यागी उसने ऐसी नौकरी, इज़्जत देकर जहां पाना था.! #अजय57 #स्वरा