शिशिर के खिलते लोध्र फूल से, पीला सा मुंह को सजाती है! खिले बसंत में कुरबक फूल को, अपने जुड़ों में लगाती है ! गर्मी में वो सिरस फूल को, दोनों कानों में पिरोती है! और रे मेघा वर्षा ऋतु में, कदंब से मांग सजाती है ! #कालीदास #मेघदुत_के_प्रति #उत्तरमेघ_श्लोक_2_भाग_2 #काव्यकृति