वो भी क्या दिन थे,, कंधे पे झोला हांथों में तख्ती, अपना ही टोला, अपनी वो बस्ती। न आज की चिंता, न चिंता थी कल की,, आइस पाइस, चिल्हारपत्ति,, कहाँ खो गया वो घोड़कब्बडी,, चिड़िया उड़ बत्तख उड़ , चुरा के खेलना, वो तासो की गड्डी, तोहार माई लंगड़ी 2 कह के खेलना कब्बड्डी,, काश हमेशा होता वो बचपन याद आता है अब भी,, वो भी क्या दिन थे ,, कंधे पे झोला वो हांथो में तख़्ती।। #bachpan