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क्या तारीफ़ करूं उसके हुस्न ए जहाँन की.. लबों में

क्या तारीफ़ करूं उसके हुस्न ए जहाँन की..
लबों में बयां ना कर सकूं खुशी उसकी इक मुस्कान की..
देखूं जरा सा भी तो दिल में अपार लहरे उठने लगती है..
जब वो सादगी से सजती है तो स्वर्ग की अप्सरा सी लगती है..

©Rajendra Jakhad #LOVE_ART
क्या तारीफ़ करूं उसके हुस्न ए जहाँन की..
लबों में बयां ना कर सकूं खुशी उसकी इक मुस्कान की..
देखूं जरा सा भी तो दिल में अपार लहरे उठने लगती है..
जब वो सादगी से सजती है तो स्वर्ग की अप्सरा सी लगती है..

©Rajendra Jakhad #LOVE_ART