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पेज-30
आज मानक के घर अलग ही रौनक दिख रही है.. घर पर बच्चों की खिलखिलाती मुस्कान.. सबके चेहरे खिले हुये... आज लड़कीवाले देखने आ रहे हैं... भगवान ने चाहा और रिश्ता पक्का हो गया तो इस कालोनी में पहली शादी की धूम धाम होगी कितना हर्ष उल्लास होगा... सबके मन में उमंग और मानक की शादी के ख़्वाब, शॉपिंग की लिस्ट.. सब कुछ मन मस्तिष्क में अपना असर छोड़ने लगा...! मेहमानों के आने के पहले ही मानक की बहन प्राजक्ता और पारिजात अपने भाई के घर मदद करने पहुंच चुकी थी.. धीरे से चंद्रमुखी बहन भी आ पहुंची जिनकी खुशी का ठिकाना ही ना था.... अभी बात पक्की भी नहीं हुई मगर यहाँ मानक के पिता जी से पूरी योजनाओं का विस्तार से वर्णन होने लगा.. हम ऐसा करेंगे हम वैसा करेंगे... आप तो बस देखते जाना पापा जी... और मम्मी आप.. आपको कोई भी काम करने की जरूरत नहीं दूल्हे राजा की सारी बहनें मिलकर सब काम हाथों हाथ कर लेंगी.. तभी पीछे से प्राजक्ता ने आवाज़ दी-फिलहाल थोड़ी मदद हमारी भी कर दो दीदी... चंद्रमुखी जी-जे लो इनको अभी से फफोले पड़ने लगे जरा सी बात क्या की इनको लगने लगा हमें तो कोई पूछ ही नहीं रहा है... अरे बहना तुम्हें भी अवसर मिलेगा... जरा हमें रुपरेखा तो बनाने दो..तभी पारिजात ने कहा-कुछ कुछ मशविरा हमसे भी ले लेना दी.., छोटे हैं पर मानक भाईसा पर हम भी उतना ही हक़ रखते हैं जितना आप.. इतने में प्राजक्ता बोल पड़ी-अरे अभी बात पक्की तो होने दो... अभी दिल्ली दूर है...! इनकी आँखों में अभी से नूर है...! यहाँ आओ वरना पापाजी.. के कानो से..! चंद्रमुखी जी- देखा पापा जी कैसे मिर्ची लग रही है इन दोनों को... और इसे अकेले नहीं कई होंगे आप तो किसी की सुनना ही नहीं... आप तो बस मेरे हिसाब से सब काम करना बस.. ये सब ना आगे आगे होंगी कुछ भी करने को.. आप तो इन्हें इतना कह देना मेरी चंद्रमुखी बिटिया से बात हो गई है.. सबको मेरे पास ही भेजना... प्राजक्ता-हाँ हाँ भेज देंगे तुम्हीं संभाल लेना सारा काम...! हमें तो नाच गाने से ही फुरसत ना मिलेगी... चंद्रमुखी जी-(🤔हाय हाय..प्लान चेंज )- क्यूँ रे नाच गाना मेरे बगैर....हो ही नहीं सकता..! पापा जी आप ना अपने हिसाब से निर्णय लीजिये.. मुझे क्या है..😔..मैं तो मारे खुशी के यूँ ही कह रही हूं मुझसे कहां इतना सब सम्भल पायेगा.. पापा जी...ओ पापा जी...! प्राजक्ता- बहुत देर से सुन रहे थे ना तो नींद आ गई होगी उन्हें.. अब माता जी को और देख लो..!अगर थक गये बताते बताते तो जरा कुछ काम धाम कर लें.. मेहमान आते ही होंगे...! कुछ देर तीनों की मीठी नोंक झोंक के बीच ही बाहर से बच्चों से आवाज़ दी मेहमान आ गये..मेहमान आ गये..!
बच्चों की आवाज़ सुनते ही पिता जी उठ गये..! मगर बच्चों ने कहा वो गाड़ी तो रुकी ही नहीं..! अब नटखट बच्चों को क्या पता मेहमान कब और काहे में आने वाले हैं.. लेकिन उसी क्षण करीब दोपहर तीन बजे.. लड़कीवाले मानक के घर पहुंचे...! खुले हृदय से मेहमानों का स्वागत हुआ...! मानक के घर में बहनों का ताँता लगता चला.. सामने मेहमान बैठे थे इसलिये पिछले दरवाज़े से किचिन और किचिन से बैठक रूम के पर्दे से नज़ारा देखा जा रहा था, पिछले दोनों कमरे ठसाठस भर चुके थे.. बहनों में कोई नाश्ते की ट्रे सजा रहा है..कोई गिलासों में पानी भर रहा है कोई फल काटकर सजा रहा है..! 
कैसी उमंग है यहाँ.. ! कितना उत्साह है सबमें..! कथाकार दृश्य देखता है और आगे का हाल बताता है-
सामने कमरे में बड़े बुजुर्गों के साथ विशाल जी यशपाल जी संगत दे रहे हैं.... कथाकार इस दृश्य को पलकों पर रखता हुआ आगे बढ़ रहा है...
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©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी 
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आज मानक के घर अलग ही रौनक दिख रही है.. घर पर बच्चों की खिलखिलाती मुस्कान.. सबके चेहरे खिले हुये... आज लड़कीवाले देखने आ रहे हैं... भगवान ने चाहा और रिश्ता पक्का हो गया तो इस कालोनी में पहली शादी की धूम धाम होगी कितना हर्ष उल्लास होगा... सबके मन में उमंग और मानक की शादी के ख़्वाब, शॉपिंग की लिस्ट.. सब कुछ मन मस्तिष्क में अपना असर छोड़ने लगा...! मेहमानों के आने के पहले ही मानक की बहन प्राजक्ता और पारिजात अपने भाई के घर मदद करने पहुंच चुकी थी.. धीरे से चंद्रमुखी बहन भी आ पहुंची
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आज मानक के घर अलग ही रौनक दिख रही है.. घर पर बच्चों की खिलखिलाती मुस्कान.. सबके चेहरे खिले हुये... आज लड़कीवाले देखने आ रहे हैं... भगवान ने चाहा और रिश्ता पक्का हो गया तो इस कालोनी में पहली शादी की धूम धाम होगी कितना हर्ष उल्लास होगा... सबके मन में उमंग और मानक की शादी के ख़्वाब, शॉपिंग की लिस्ट.. सब कुछ मन मस्तिष्क में अपना असर छोड़ने लगा...! मेहमानों के आने के पहले ही मानक की बहन प्राजक्ता और पारिजात अपने भाई के घर मदद करने पहुंच चुकी थी.. धीरे से चंद्रमुखी बहन भी आ पहुंची जिनकी खुशी का ठिकाना ही ना था.... अभी बात पक्की भी नहीं हुई मगर यहाँ मानक के पिता जी से पूरी योजनाओं का विस्तार से वर्णन होने लगा.. हम ऐसा करेंगे हम वैसा करेंगे... आप तो बस देखते जाना पापा जी... और मम्मी आप.. आपको कोई भी काम करने की जरूरत नहीं दूल्हे राजा की सारी बहनें मिलकर सब काम हाथों हाथ कर लेंगी.. तभी पीछे से प्राजक्ता ने आवाज़ दी-फिलहाल थोड़ी मदद हमारी भी कर दो दीदी... चंद्रमुखी जी-जे लो इनको अभी से फफोले पड़ने लगे जरा सी बात क्या की इनको लगने लगा हमें तो कोई पूछ ही नहीं रहा है... अरे बहना तुम्हें भी अवसर मिलेगा... जरा हमें रुपरेखा तो बनाने दो..तभी पारिजात ने कहा-कुछ कुछ मशविरा हमसे भी ले लेना दी.., छोटे हैं पर मानक भाईसा पर हम भी उतना ही हक़ रखते हैं जितना आप.. इतने में प्राजक्ता बोल पड़ी-अरे अभी बात पक्की तो होने दो... अभी दिल्ली दूर है...! इनकी आँखों में अभी से नूर है...! यहाँ आओ वरना पापाजी.. के कानो से..! चंद्रमुखी जी- देखा पापा जी कैसे मिर्ची लग रही है इन दोनों को... और इसे अकेले नहीं कई होंगे आप तो किसी की सुनना ही नहीं... आप तो बस मेरे हिसाब से सब काम करना बस.. ये सब ना आगे आगे होंगी कुछ भी करने को.. आप तो इन्हें इतना कह देना मेरी चंद्रमुखी बिटिया से बात हो गई है.. सबको मेरे पास ही भेजना... प्राजक्ता-हाँ हाँ भेज देंगे तुम्हीं संभाल लेना सारा काम...! हमें तो नाच गाने से ही फुरसत ना मिलेगी... चंद्रमुखी जी-(🤔हाय हाय..प्लान चेंज )- क्यूँ रे नाच गाना मेरे बगैर....हो ही नहीं सकता..! पापा जी आप ना अपने हिसाब से निर्णय लीजिये.. मुझे क्या है..😔..मैं तो मारे खुशी के यूँ ही कह रही हूं मुझसे कहां इतना सब सम्भल पायेगा.. पापा जी...ओ पापा जी...! प्राजक्ता- बहुत देर से सुन रहे थे ना तो नींद आ गई होगी उन्हें.. अब माता जी को और देख लो..!अगर थक गये बताते बताते तो जरा कुछ काम धाम कर लें.. मेहमान आते ही होंगे...! कुछ देर तीनों की मीठी नोंक झोंक के बीच ही बाहर से बच्चों से आवाज़ दी मेहमान आ गये..मेहमान आ गये..!
बच्चों की आवाज़ सुनते ही पिता जी उठ गये..! मगर बच्चों ने कहा वो गाड़ी तो रुकी ही नहीं..! अब नटखट बच्चों को क्या पता मेहमान कब और काहे में आने वाले हैं.. लेकिन उसी क्षण करीब दोपहर तीन बजे.. लड़कीवाले मानक के घर पहुंचे...! खुले हृदय से मेहमानों का स्वागत हुआ...! मानक के घर में बहनों का ताँता लगता चला.. सामने मेहमान बैठे थे इसलिये पिछले दरवाज़े से किचिन और किचिन से बैठक रूम के पर्दे से नज़ारा देखा जा रहा था, पिछले दोनों कमरे ठसाठस भर चुके थे.. बहनों में कोई नाश्ते की ट्रे सजा रहा है..कोई गिलासों में पानी भर रहा है कोई फल काटकर सजा रहा है..! 
कैसी उमंग है यहाँ.. ! कितना उत्साह है सबमें..! कथाकार दृश्य देखता है और आगे का हाल बताता है-
सामने कमरे में बड़े बुजुर्गों के साथ विशाल जी यशपाल जी संगत दे रहे हैं.... कथाकार इस दृश्य को पलकों पर रखता हुआ आगे बढ़ रहा है...
आगे पेज-31

©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी 
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आज मानक के घर अलग ही रौनक दिख रही है.. घर पर बच्चों की खिलखिलाती मुस्कान.. सबके चेहरे खिले हुये... आज लड़कीवाले देखने आ रहे हैं... भगवान ने चाहा और रिश्ता पक्का हो गया तो इस कालोनी में पहली शादी की धूम धाम होगी कितना हर्ष उल्लास होगा... सबके मन में उमंग और मानक की शादी के ख़्वाब, शॉपिंग की लिस्ट.. सब कुछ मन मस्तिष्क में अपना असर छोड़ने लगा...! मेहमानों के आने के पहले ही मानक की बहन प्राजक्ता और पारिजात अपने भाई के घर मदद करने पहुंच चुकी थी.. धीरे से चंद्रमुखी बहन भी आ पहुंची