किस मरासिम की बात करूं; किसे याद करूं। सब तो बातें लगते, बातों में ही अच्छे लगते। रखे_रखे पुराने हो गए सारे मरासिम, बंद अलमारी में किताबों की तरह; आज जब खोली तो... दीमकों ने कुछ को खा लिए, कुछ तिलस्मी सी, कुछ हंसती, लहलहाती; तो ,कुछ नम करती इन आंखों को। पुराने अब तक मिटे नहीं, नए अब तक बने नहीं।। _Meri lekhni ©Beauty Kumari #hindipoem #hindikavita #पंक्तियां #qutoes #thought #hindilitreture #shayari #नज़्म #रिश्ते_नाते