खामोश " बस्तर " में अब शोर है जो मिला नही अधिकार बरसो से बस उसे पाने की होड़ है अब नही चलेगा रौब यहाँ कोई सत्ता और सियासत का ये हमारी जमीने है और यहाँ हक़ है हमे स्वशासन का दमनकारियो का दिन गया अब बारी हमारी आई है लड़ कर लेंगे अधिकार हमारे जो सत्ता ने हमसे छुपाई है बरसो से जो चुप्पी थी वो बस्तर ने आज तोड़ी है क्रांति की बिगुल फूँक के सत्तालोभियो की नींदे तोड़ी है संघर्ष और क्रांति के बल पे हम अपना अधिकार पाएंगे अब वो दिन दूर नही जब हम सब मिलकर शिक्षित , शांत , संवैधानिक , समृध्द , और सांस्कृतिक प्रबलता वाला बस्तर बनाएंगे ©Anmol Mandavi बस्तर....