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झटक ना जुल्फ को यूँ सरेराह, जाने कितनों का दिल मच

झटक ना जुल्फ को यूँ सरेराह, 
जाने कितनों का दिल मचलता है,
हो बाग में जो फूल सबसे कोमल, 
भंवरों का दिल उसी पे अटकता है, 
है मौसम बरसात का ऐसे में, 
जब तेरी लट से पानी बूँद बन टपकता है, 
सच कहता हूँ उस वक्त मुर्दों का भी दिल धड़कता है।। 

#अंकित सारस्वत# #मुर्दों का भी दिल धड़कता है।।
झटक ना जुल्फ को यूँ सरेराह, 
जाने कितनों का दिल मचलता है,
हो बाग में जो फूल सबसे कोमल, 
भंवरों का दिल उसी पे अटकता है, 
है मौसम बरसात का ऐसे में, 
जब तेरी लट से पानी बूँद बन टपकता है, 
सच कहता हूँ उस वक्त मुर्दों का भी दिल धड़कता है।। 

#अंकित सारस्वत# #मुर्दों का भी दिल धड़कता है।।