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"मेरे शहर से तेरे शहर तक जाता क्या कोई रास्ता होग

"मेरे शहर से तेरे शहर  तक जाता क्या कोई रास्ता होगा, 
मेरे शहर को तेरे शहर से जोड़ता क्या कोई सोचता होगा,
 अनकही बातों को कैसे कोई पहुंचाता होगा, 
 तेरे खेतों से होकर मेरे खेत तक क्या कोई फासला होगा,
 खयालों के पुल बनाकर क्या कोई कविता लिखता होगा,
 ख्वाबों की दुनिया को कोई कागज पर कैसे उतारता होगा,
 मुझे तुझ से जोड़ता क्या कोई ख्याल होगा,
 बेनाम सी मोहब्बत का क्या कोई अंजाम होगा,
 अंजाम जो भी हो पर साथ में क्या तेरा मेरा नाम होगा, मुझसे तुझ तक
"मेरे शहर से तेरे शहर  तक जाता क्या कोई रास्ता होगा, 
मेरे शहर को तेरे शहर से जोड़ता क्या कोई सोचता होगा,
 अनकही बातों को कैसे कोई पहुंचाता होगा, 
 तेरे खेतों से होकर मेरे खेत तक क्या कोई फासला होगा,
 खयालों के पुल बनाकर क्या कोई कविता लिखता होगा,
 ख्वाबों की दुनिया को कोई कागज पर कैसे उतारता होगा,
 मुझे तुझ से जोड़ता क्या कोई ख्याल होगा,
 बेनाम सी मोहब्बत का क्या कोई अंजाम होगा,
 अंजाम जो भी हो पर साथ में क्या तेरा मेरा नाम होगा, मुझसे तुझ तक