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खुशियाँ हो जहाँ, उस जहां तक चलते है. चलो आज फिर, आ

खुशियाँ हो जहाँ, उस जहां तक चलते है.
चलो आज फिर, आसमां तक चलते है.
.
रंजो गम से दूर कहीं, कोई तो जमीं होगी, 
ता-उम्र के लिये 'सुरेश,'  वहाँ तक चलते हैं।

©Suresh Jadav khushiyan
खुशियाँ हो जहाँ, उस जहां तक चलते है.
चलो आज फिर, आसमां तक चलते है.
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रंजो गम से दूर कहीं, कोई तो जमीं होगी, 
ता-उम्र के लिये 'सुरेश,'  वहाँ तक चलते हैं।

©Suresh Jadav khushiyan
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Suresh Jadav

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