इक दिन थक कर ज़िंदगी से कहा मैंने ज़िन्दगी इतने इम्तिहान न ले इस पथभ्रमित दिशाहीन इन्सान का , अदना सा बौना सा हूं तेरे सामने मेरी क्या औकात , हारते आया हूं तुझसे इस जंग में सदा से , कुछ अपनी तरह काबिल बना फिर होगी न बात ।। ज़िन्दगी ने दिया जवाब माना तू बौना है इन्सान सामने मेरे , कद्र है मुझे तेरी ,समझती हूं बात , तेरे बिन मैं नहीं और मेरे बिन तू नहीं , बस चाहती हूं तू कुछ और लायक बने मेरे , आग में तप के खरे सोने की तरह निखरे ।।@रिमझिम #gif zindagi se guftagu #nojotohindi#kalakaksh#hindi#poetry#kavita#feelings #relationships#shayari