कोरोना से आदमी की जो पहचान हुई। अपनों से प्यारी आज जो खुद की जान हुई।। घरो में रहो यही इसका इलाज है वरना, पता न चलेगा जिंदगी कब मेहमान हुई।। न सर्दी न खांसी न छींके अब आती है, जैसे खरास नहीं चोरी का सामान हुई।। भाई भाई ना रहा दोस्त भी दोस्त न रहा, घर में रहा तो ही रिश्तो से जान पहचान हुई।। कैसे भटक रहे है लोग सड़को पर देखो, अदृश्य शक्ति से जिंदगी कैसे विरान हुई।। एक वायरस ने दिखाया आइना दुनिया को, अब जिन्दगी आसान नहीं मौत आसान हुई।। अब सांसे लेना भी हो गया मुशकिल"मंजर", करोना के डर से हवा जो बेइमान हुई।। मनोज मंज़र #CoronaKoHaranaHai #StayAtHome #Savethenation #Supporttocoronawarrier #Supporttowardi